Add Poetry

ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में

Poet: गुलज़ार By: Ghazi, Lahore

ख़ुशबू जैसे लोग मिले अफ़्साने में
एक पुराना ख़त खोला अनजाने में

शाम के साए बालिश्तों से नापे हैं
चाँद ने कितनी देर लगा दी आने में

रात गुज़रते शायद थोड़ा वक़्त लगे
धूप उन्डेलो थोड़ी सी पैमाने में

जाने किस का ज़िक्र है इस अफ़्साने में
दर्द मज़े लेता है जो दोहराने में

दिल पर दस्तक देने कौन आ निकला है
किस की आहट सुनता हूँ वीराने में

हम इस मोड़ से उठ कर अगले मोड़ चले
उन को शायद उम्र लगेगी आने में

Rate it:
Views: 124
11 Sep, 2023
More Hindi Poetry
Popular Poetries
View More Poetries
Famous Poets
View More Poets